गीता प्रेस, गोरखपुर >> बालकों की बोलचाल बालकों की बोलचालहनुमानप्रसाद पोद्दार
|
5 पाठकों को प्रिय 401 पाठक हैं |
इसमें बालकों को दैनिक व्यवहार की शिक्षा दी गई है ...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
नम्र निवेदन
जैसा कि पुस्तक के नाम से स्पष्ट है, इसमें बालकों को दैनिक व्यवहार की
शिक्षा दी गयी है। वे किस प्रकार बोलें, किस प्रकार बैठें, किस प्रकार
चलें, किस प्रकार पढ़े, किस प्रकार लिखें, किस प्रकार सफाई एवं सावधानी
रखें—इत्यादि बातें लेखकके द्वारा बड़े सरल ढंगसे समझायी गयी हैं।
साथ ही स्वास्थ्य के प्रारम्भिक नियम भी बताये गये हैं। इस प्रकार सदाचार
की सभी मोटी-मोटी बातें इसमें आ गयी हैं। इसके द्वारा चरित्र-निर्माणमें
कोमल-मति बालकों को कुछ भी सहायता मिली तो हम अपने को कृताकार्य समझेंगे।
विनीत
हनुमान प्रसाद पोद्दार
हनुमान प्रसाद पोद्दार
बालकों की बोल-चाल
1
बोलना सीखो
बोलना सीखना पड़ता है।
बोलने का ढंग होता है।
बोलनेके नियम होते हैं।
उचित रूप से बोलनेवाला सम्मानित होता है।
नम्रता से बोलना सीखो।
मधुरता से बोलना सीखो।
विनयपूर्वक बोलना सीखो।
शिष्टता से बोलना सीखो।
जोर से चिल्लाओ मत।
दूरसे चिल्लाओं मत।
अजडुता से चिल्लाओ मत।
बिना कारण चिल्लाओ मत।
बोलने का ढंग होता है।
बोलनेके नियम होते हैं।
उचित रूप से बोलनेवाला सम्मानित होता है।
नम्रता से बोलना सीखो।
मधुरता से बोलना सीखो।
विनयपूर्वक बोलना सीखो।
शिष्टता से बोलना सीखो।
जोर से चिल्लाओ मत।
दूरसे चिल्लाओं मत।
अजडुता से चिल्लाओ मत।
बिना कारण चिल्लाओ मत।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book